Wednesday 4 January 2012

काले धन के विरोध में एक आवाज



यदि आप संयुक्त परिवार में रहते हो तब क्या आप अपने पुरखो की विरासत में से अपना हिस्सा छोड़ दोगे?
यदि कोई आपका हिस्सा जबरदस्ती हड़प ले तो क्या आप उसका विरोध नहीं करोगे?
यदि आपका जवाब "नहीं" है तो आज क्यों चुप हो!




पैसा सालो पहले जमा किया गया था ! 19वी शताब्दी के अंतिम सालो में और 20 वी शताब्दी में इतना पैसा बाहर लेजाना असम्भव है ! उस समय इन पैसो की कीमत आज से भी 100 गुणा ज्यादा थी क्योकि विकसित देशो में ब्याज की दर ना के बराबर होती है इसलिए सालो पहले रकम में धन इतना ही होगा जितना आज है ! उदहारण के लिए सालो पहले 1 रु की कीमत की अपेक्षा आज के 1 रु की कीमत में कितना अंतर है ये आप अच्छी तरह जानते है ! सोचो कितना ज्यादा हमे नुकसान हुआ है! भूल गए क्या 1992 और 1992 से पहले का दौर? इन देश द्रोहियों के कारण विदेशियों ने हमारे पैसे से हमे ही कर्जा देकर हम पर दबाव बनाया और खूब हमारी अर्थव्यवस्था का शोषण किया !
हम गरीब नहीं है ये हमारा ही तो पैसा है जो विदेशो में पड़ा है आखिर क्यों फिर हम ये जिल्लत की जिन्दगी जी रहे है?

कोई हम से 10 रु ज्यादा लेले तो हम हंगामा खड़ा कर देते हो और आज इन भ्रष्ट नेताओ ने हमारे कई लाख करोड़ रु छीने है तो हम चुप है ?

अब इस बात को दबाया जा रहा है, क्या ये लिस्ट मीडिया के पास नहीं है? यदि है तो क्यों इसको दिखाया नहीं जा रहा? क्यों इसकी चर्चा नहीं की जा रही?
क्योंकि ये काला धन एक ऐसा मुददा है जिसमे पक्ष और विपक्ष हर राजनैतिक पार्टी के नेता फँसते है जिसे मोका मिला उसने लूटा देश को और मीडिया तो सबसे ज्यादा भ्रष्ट है इन राजनीतिज्ञों के इशारों पर डमरू की तरह बजती है! आखिर इनकी मज़बूरी है 24 घण्टे का चेनल चलाना है तो इसलिए इन राजनीतिज्ञों के इशारे पे डमरू की तरह तो बजना ही पड़ेगा ! इनकी तो मजबूरी है आप लोगो की क्या मज़बूरी है? आप क्यों चुप हो? हमारे अकेले के बोलने से क्या होता है ये बोल के अब भी अपनी कायरता का परिचय दोगे या अपने हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए आगे आओगे?(जानने के लिए यहाँ click करे)



ईशान जायसवाल
(सी. ए. और बी.कॉम का छात्र )
"अब हम सब साथ-साथ चलेंगे भारत का विकास करेंगे"